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विवाद तब शुरू हुआ जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कथित तौर पर संसदीय चर्चा के दौरान तमिलनाडु के सांसदों को असभ्य कहा। इससे नाराज कनिमोझी ने असभ्य शब्द को अपमानजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति बताया। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं खासकर जब वे निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए निर्देशित हों। कनिमोझी ने कहा असभ्य ऐसा शब्द नहीं है जिसे देश में किसी के भी खिलाफ़ इस्तेमाल कर सकें।
उन्होंने कहा, "हम आगे क्या उम्मीद कर रहे हैं?... उत्तरी भारत के अंदरूनी इलाकों में गरीबी, शिक्षा की कमी और बिजली की कमी वाले बहुत से राज्य हैं। हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण भोजन और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने में सक्षम हैं। अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसे उन राज्यों में लागू करना सीखे जो इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं और इसका उपयोग न करने के लिए उन्हें दंडित करें।"
कनिमोझी ने कहा, "हमने परिसीमन पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया था, जो भारत के दक्षिणी राज्यों पर भारी पड़ रहा है, जिसे अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया... हम परिसीमन पर एक स्वस्थ चर्चा की मांग कर रहे हैं... हम जानना चाहते हैं कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) क्या होने जा रही है, सरकार क्या करने जा रही है।"
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MironMahmud 02 February 2020
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